गर्भवती महिलाओ को किन बातो का अधिक ध्यान रखना चाहिए

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गर्भवती महिलाओ को किन बातो का अधिक ध्यान रखना चाहिए- मां बनना हर औरत के लिए जिंदगी का सबसे खूबसूरत एहसास है। ये पल सिर्फ होने वाली मां के लिए नहीं, बल्किउसके परिवार के हर सदस्य के लिए खुशियों से भरा होता है। इसीलिए गर्भवती महिला का हर तरह से बहुत अधिक ध्यान रखा जाता है। सभी चाहते हैं कि होने वाली संतान संस्कारवान और स्वस्थ हो। मान्यता है कि गर्भवती स्त्री जिस तरह की तस्वीर अपने मन में खींच लेती है, बिल्कुल वैसी ही संतान उसे होती है।

 

गर्भ वती महिलाओ को कैसे कपड़े पहनना चाहिए ?

जब कोई महिला गर्भ धारण करती है तो उसके गर्भ में पलने वाले बच्चे के बढ़ने के साथ में महिला के शरीर का भी डील-डॉल भी समय के साथ 1-9 वे महीने तक बढ़ता ही जाता है ऐसी कारण महिला को चुस्त कपड़े नहीं पहनने चाहिए। जिन कपड़ो में उठने बैठने में परेशानिया न हो और घुटन व् सास लाइन में बिलकुल भी परेशानिया न हो व्ही कपड़े पहनना चाहिए। गर्भवती महिला के साथ उसके होने वाले बच्चे के लिया भी बहुत ही अच्छा है।

 

माता के संस्कारों व उसकी सोच का गहरा प्रभाव शिशु पर पड़ता है। काफी पुराने समय काल से ही हमारे समाज में गर्भाधान संस्कार को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। महाभारत में भी इस बात का उल्लेख किया गया है। जिसके अनुसार अभिमन्यु ने अपनी मां के गर्भ में ही चक्रव्यूह तोड़ना सीख लिया था। इसीलिए हमारे शास्त्रों में वेदों के अनुसार भी यह माना जाता है कि मां के मानसिक विचारों का संतान पर बहुत गहरा  प्रभाव पड़ता है।

 

विज्ञान के अनुसार भी उन महिलाओं के बच्चे अधिक स्वस्थ्य और संस्कारी होते हैं जिनके उन दिनों विचार सकारात्मक होते हैं। मतलब गर्भवती महिलाओं को परिवार में सकारात्मक वातावरण मिले, इस बात के विशेष ध्यान घर के हर सदस्य को रखना चाहिए। ऐसे में यदि गर्भवती महिला जिस तरह का व्यवहार-आचार रखती है। बच्चे का आचार व्यवहार भी पैदा होने के बाद लगभग वैसा ही होता है।

 

गर्भवती महिला के स्वभाव के अनुशार ही बच्चे का स्वभाव होता है  गर्भवती महिला जिस बात की अनिच्छा रखती है। उसकी संतान भी उस बात में अनिच्छा रखती है। वह जिस बात की इच्छा रखती है वही संतान की इच्छा बन जाती है। इसीलिए अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा अच्छे संस्कार और गुणवान हो तो आपको रामायण या कोई भी सांस्कारिक कहानिया पढ़ना व् अच्छे -अच्छे कामो व् बातो तथा अपने मन में अच्छी -अच्छी बाते को सोचना चाहिए और खुश रहना चाहिए गर्भ वती महिला यदि खुश रहे तो खा जाता है कि उससे होने वाला बच्चा भी खुश और संस्कारी होगा 

 

गर्भवती महिला इन्हें खाने से बचें-

(1)यूं तो गर्भावस्था में सभी ताजे फल व सब्जियां खाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि मां और शिशु के शरीर को पोषक तत्व देने के लिए डाइट की भरपाई करने में फलों का बहुत महत्व है। पर कुछ फल ऐसे भी हैं, जिन्हें गर्भावस्था के दौरान खाने से मां-बच्चे को फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है।

 

(2)पपीता- पपीता के सेवन से गर्भपात की आशंका होती है। खासतौर पर कच्चे पपीते में लैटेक्स की अधिकता होती है, जिससे गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, इसमें विटामिन सी की अधिकता होती है, जिससे गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को एसिडिटी या कब्ज की समस्या हो सकती है।

 

(3)अनन्नास-गर्भावस्था के दौरान अनन्नास को डाइट में शामिल करना गर्भपात की एक बड़ी वजह हो सकता है। इसमें ब्रोमेलियन अधिक मात्र में होता है, जिसके कारण गर्भ नहीं ठहर पाता। खासतौर पर गर्भावस्था के शुरुआती दौर में इसे खाना नुकसानदायक हो सकता है।

 

(4)आड़ू- यह फल स्वाद में जितना अच्छा होता है, उतना ही गर्म भी होता है। यह फल गर्भवती महिलाओं में  रक्तस्नव और गर्भपात की वजह हो सकता है, इसलिए इसे गर्भावस्था के दौरान न खाना ही समझदारी है।

 

(5)बिना धोए फल- वैसे तो बिना धोए फल खाना नहीं चाहिए, लेकिन गर्भावस्था के दौरान ये इतने खतरनाक हो सकते हैं कि गर्भपात की वजह बन जाएं। कई बार फलों पर लगी मिट्टी में टोक्सोप्लास्मोसिस नाम का  बैक्टीरिया होता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए जानलेवा हो सकता है।

 

गर्भावस्था में गर्मी के मौसम-गर्भावस्था ऐसा समय होता है जब महिला को अपने साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु का भी खास ख्याल रखना पड़ता है खासकर गर्मी के मौसम।अगर आप गर्भवती हैं तो आज हम आपको गर्भावस्था में गर्मी के मौसम में खुद का ख्याल कैसे रखें इससे संबंधित कुछ टिप्स देने जा रहे हैं जिनके बारे में जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।गर्मियों में किन-किन बातों का ध्यान रखना गर्भवती महिलाओं के लिए लाभदायक हो सकता है।

 

 

(1)गर्भावस्था के दौरान शिशु और मां के लिए अधिक से अधिक पानी का सेवन लाभप्रद साबित होता है। इसी के साथ फलों के रस का भी सेवन करें।

 

(2)अधिकतर गर्मियों में गर्भवती महिलाओं को डिहाइड्रेशन होने की संभावना अधिक रहती है इसलिए गर्मियों की दिनों में कम से कम आठ-नौ गिलास पानी पीएं।

 

(3)होंठों का सुखना, चक्कर आना आदि शरीर में पानी की मात्रा कम होने के संकेत है। इन्हें समझें और ऐसा कुछ हो तो डॉक्टर की सलाह लें।

 

 

गर्भवती महिलाओ के लिए पौष्टिक आहाकर का सेवन जरूरी है-गर्मियों के मौसम में गर्भवती महिलाओ को पोस्टिक आहार ही लेना चाहिएसमय -समय पर डॉक्टर से जांच भी कृते रहना चाहिए और डॉक्टर द्वारा दी जाने वाली दवाये ,आयरन की गोले कैल्श्यिम की गोली ,टॉनिक समय - समय पर लेते रहना चाहिए  सामान्य व्यक्ति हो या गर्भवती महिलाएं पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक आहार का सेवन हर किसी के लिए फायदेमंद है।इससे गर्भवती महिलाओं को सुकून मिलेगा और गर्भ में पल रहे शिशु का विकास भी सहीतरिके से हो पाएगा।

 

(1)गर्मियों में ठंडे फल, जूस या सलाद का सेवन अवश्य करें। वहीं इस मौसम में खाने को लेकर बहुत सी सावधानियां बरतें जैसे गर्मियों में अधिक मसाले वाले या जंक फूड आदि के सेवन से बचे।

 

(2)दाल हरी सब्जिया अवश्य आहार में ले ।

 

(3)अनार पपीता को बिलकुल न ले यह हानिकारक हो सकता है इनकी तासीर गर्म मानी जाती है।

 

(4)संतरा मौसमी अंगूर व् नारियल पानी बहुत ही फायदेमंद होते है जो की होने वाले बच्चे को फायदे पहुंचते है।

 

(5)दही छाछ रायता भी ले सकते है।  ठंडे फल, जूस या सलाद का सेवन अवश्य करें।

 

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